रोज अंधेरा होते ही एक उल्लू मंदिर के गुंबद पर बैठ जाता। परेशान लोग अपशगुन मान कर उसे उड़ाते लेकिन वह हठी, उड़ जाता पर कुछ देर बाद वापस लौट आता। एक बार देर रात उसे मौका मिल गया। जगदीश्वर खुली हवा में टहल रहे थे, वह उनके सामने आया, --‘‘ मेरी समस्या का समाधान कीजिए जगदीश्वर।’’‘‘ पूछो लक्ष्मीवाहक, क्या बात है ?’’‘‘ जगदीश्वर, मेरे पुरखे आस्ट्रेलिया के थे इसलिए वे आस्ट्रेलियन कहलाए। मेरे कुछ बंधु जर्मनी में हैं वे जर्मन कहलाते हैं। अमेरिका में रहने वाले मेरे भाई अमेरिकन हैं। तो में हिन्दुस्तान में रहने वाला हिन्दू क्यों नहीं हूं !?’’जगदीश्वर मुस्कराए, बोले -‘‘ तुम हिन्दुस्तान में हो इसलिए बेशक हिन्दुस्तानी हो। लेकिन हिन्दू नहीं उल्लू हो। ..... हिन्दुस्तानी उल्लू ।’’
लघुकथा - जवाहर चौधरी
Reviewed by
Bal krishna Dwivedi
on
12/05/2014
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5
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