"ग़ालिब तेरे क़लाम में क्योंकर मज़ा न हो, पीता हूँ रोज़ धोकर शीरीं सुखन के पाँव।" |
ग़ज़लों ghazal की दुनिया की बात करें तो मिर्ज़ा ग़ालिब ghalib के जैसा शायर अब शायद दुबारा नहीं होगा। उनकी शख्शियत, ज़िन्दगी के हर पहलू पर उनका नज़रिया, उनका अंदाजे बयाँ, उनकी कलम और उनका क़लाम उन्हें बेजोड़ बनाता है। यूँ तो ग़ालिब साहब मूलतः फ़ारसी के शायर हैं फिर भी उन्होंने उर्दू में जितना लिखा है, उर्दू अदब के बाक़ी सारे क़लमकारों को मिला देने से भी उसकी बराबरी न हो सकेगी।
मिर्ज़ा ग़ालिब की प्रसिद्धि का आलम यह है कि बड़े-बुज़ुर्ग तो छोडिए नए लड़के भी अक्सर बोलते रहते हैं - "हमारी शख्शियत का अंदाज़ा तुम क्या लगाओगे 'गालिब'.. । आप ज़िन्दगी के किसी भी मोड़ पे हों ग़ालिब की शायरी ghalib shayari आपके साथ खड़ी मिलेगी। मोहब्बत, बेवफाई, रुसवाई पर तो उन्होंने खूब लिखा ही है, ज़िन्दगी से लेकर जन्नत तक के बाक़ी मौज़ूआत पर भी उन्होंने भरपूर लिखा है और बहुत ख़ूब लिखा है।
आज इस बेहद मशहूर, हर दिल अजीज़ शायर जनाब मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्मदिन है। आइए इस मौक़े पर पढ़ते हैं उनके कुछ चुनिन्दा, बेहतरीन शेर ghalib sher जो मुझे बहुत पसंद हैं और मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको भी पसंद आयेंगे। वैसे मैंने कोशिश की है कि ग़लतियाँ कम से कम हों लेकिन चूँकि मुझे उर्दू की कोई ख़ास जानकारी नहीं है इसलिए गलतियों के लिए माफ़ी चाहूँगा और यह भी गुज़ारिश करूँगा कि जहाँ ग़लतियाँ हैं उन्हें आप सही करेंगे।
पेश-ए-ख़िदमत है -
#१.
बस कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना।
आदमी को भी मयस्सर नहीं इन्साँ होना।।
#२.
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क जीने और मरने का,
उसी को देखकर जीते हैं जिस क़ाफ़िर पे दम निकले।
#३.
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
#४.
तोड़ा कुछ इस अदा से ताल्लुक उसने ग़ालिब,
कि हम सारी उम्र अपना क़ुसूर ढूँढ़ते रहे।
#५.
हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन,
खाक हो जायेंगे हम तुझको ख़बर होने तक।
#६.
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।
#७.
आईना क्यों न दूँ कि तमाशा कहें जिसे।
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे।।
#८.
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक,
वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है।
#९.
बेवजह नहीं रोता कोई इश्क़ में ग़ालिब
जिसे ख़ुद से बढकर चाहो वो रुलाता ज़रूर है।
#१०.
ये न थी हमारी किस्मत कि विसाल-ए-यार होता।
अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।।
#११.
ग़ालिब शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर,
या वो जगह बता जहाँ पर ख़ुदा न हो।
#१२.
हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
दिल के बहलाने को ग़ालिब ख़याल अच्छा है।
#१३.
दर्द देकर सवाल करते हो।
तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो।।
देखकर पूछ लिया हाल मेरा।
चलो कुछ तो ख़याल करते हो।।
#१४.
फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है।।
बेख़ुदी बेसबब नहीं गालिब,
कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।।
#१५.
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले।
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
---------------------------------------------------------
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए थे लेकिन।
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
दोस्तों, अगर आपके पास भी कुछ ऐसे ही बेहतरीन ग़ालिब के शेर (Ghalib ke sher) हैं तो कृपया आप उन्हें यहाँ कमेंट करें ताकि और लोगों को भी आपके द्वारा भेजी गई ग़ालिब शायरी Galib shayri का आनंद मिल सके।
धन्यवाद!
मिर्ज़ा ग़ालिब के १५ बेहतरीन शेर || 15 Best Mirza Ghalib sher ghalib shayari
Reviewed by Bal krishna Dwivedi
on
12/27/2017
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं: