बदला न अपने आपको जो थे वही रहे Ghazal - निदा फ़ाज़ली
निदा फ़ाज़ली की यह गजल Ghazal "बदला न अपने आपको" मेरी पसंदीदा ग़ज़लों में से एक है। इसका ये शेर 'जिसमें खिले हैं फूल" तो बहुत ही अच्छा है। आप भी पढ़ें यह खूबसूरत गजल Ghazal-
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बदला न अपने आपको जो थे वही रहे।
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे॥
अपनी तरह सभी को किसी की तलाश थी।
हम जिसके भी क़रीब रहे दूर ही रहे॥
दुनिया न जीत पाओ तो हारो न ख़ुद को तुम।
थोड़ी बहुत तो जे़हन में नाराज़गी रहे॥
गुज़रो जो बाग़ से तो दुआ माँगते चलो।
जिसमें खिले हैं फूल वो डाली हरी रहे॥
हर वक़्त हर मक़ाम पे हँसना मुहाल है।
रोने के वास्ते भी कोई बेकली रहे॥
~निदा फ़ाजली
मुझे उम्मीद है, आपको यह गजल Ghazal पसंद आयी होगी।
~निदा फ़ाजली
मुझे उम्मीद है, आपको यह गजल Ghazal पसंद आयी होगी।
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